THE BEST SIDE OF HINDI STORY

The best Side of hindi story

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गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’ बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

” alludes into the classical songs tradition, symbolising the intricate and harmonious still frequently discordant rhythms of existence during the village.

फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?

एक बार सूरज, पवन और चन्द्रमा अपने चाचा-चाची बिजली और तूफ़ान के घर दावत खाने गए थे। उनकी माँ, जो दूर सितारों में से एक थी , अपने बच्चों का वापस आने का इंतज़ार कर रही थी। दावत में, तरह तरह के पकवान थे। सूरज और पवन ने जम के दावत के मज़े उड़ाए। पर चन्द्रमा को अपनी अकेली माँ का ध्यान था इसलिए उसने खाने के साथ साथ थोड़े से पकवान माँ के लिए भी रख लिए।

इमेज कैप्शन, राजेंद्र यादव संकलित इस किताब में उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, रेणु और भीष्म साहनी की कहानियाँ संकलति हैं.

ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य here की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश

एक समय की बात है, एक हरे-भरे घास के मैदान में, अंजलि नाम की एक चींटी और वैभव नाम का एक टिड्डा रहता था। अंजलि एक मेहनती चींटी थी जो सर्दियों के लिए भोजन इकट्ठा करने में अपना दिन बिताती थी। और वही दूसरी ओर, वैभव ने अपना समय खेलने और गाने में बिताया, और इतनी मेहनत करने के लिए अंजलि का मज़ाक उड़ाया। “तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो, अंजलि? आओ और आनंद लो!” वैभव ने कहा.

वही साहित्यिक 'हिंदी' जो हिंदी के नाम पर शिक्षण संस्थानों में प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालयों तक लागू है और जिसमें लाखों हिंदी भाषी बच्चे परीक्षाओं में फ़ेल हो जाते हैं.

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

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